Tuesday 28 June 2011

एक और क्रान्ती

अब तो सरकार भी समझ गयी है कि आज़ के नोजवान कुछ भी नही करेंगे
ज्यादा से ज्यादा वो फेसबूक या ट्विटर पे नारे लगा देंगे
आज़ से ५ साल पहले तक हमको भी विद्रोह करना आता था...
हम अपनी बात मनवाने के लिये हडताल करते थे, सरकार कि ईट से ईट बजा देते थे..
अगर सच में इन काले अंग्रेजो को देश से भगाना है,
तो हम सबको रोड पे आना हि पडेंगा ...
ईट से ईट बजानी पडेंगी सरकार कि..
नही तो सिर्फ और सिर्फ १८५७ की क्रान्ती बन के रह जायेंगी , ये क्रान्ती भी...
जिसमे हमको शहीद तो बहुत मिलेंगे, पर शायद आजादी ना मिले..
अब तो है हमारे पास बाबा रामदेवजी और अन्ना साहेब हजारे जेसे नायक भी है , पर इनको भी खो दिया तो शायद ओर १०० साल इन्तजार करना पडेंगा आज़ादी के लिये...!!

आपका
विनोद केशरीमलजी रावल

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